गुरुदेव पंकज महाराज हजारों की संख्या में दिखे श्रद्धालु समाज को कहा शाकाहारी बने एवं नशे से दूर रहे जिससे हमारे समाज का उद्धार हो सके जैसे श्री राम भगवान ने समाज के प्रति अपने कर्तव्य निष्ठा दिखाइए वैसे ही हमें रामराज्य लाना है
अमरवाड़ा जगतगुरु पंकज महाराज ने अमरवाड़ा में सत्संग की और समाज को एक संदेश दिया कि जैसे प्रभु श्री राम ने अपने राज को बनाया था वैसे ही इस कलयुग को रामराज बनाना है उसमें समस्त मनोज जाति को शाकाहार अपनाने, शराब आदि घातक नशों का परित्याग करने, चरित्र उत्थान, थोड़ा सा समय निकालकर प्रभु के भजन का संदेश और प्रेरणा देते हुय डेहरिया पेट्रोल पम्प के निकट अमरवाड़ा में यात्रा का 5वाँ पड़ाव डाला।
आज यहाँ सत्संग समारोह का आयोजन किया गया। महाराज जी ने अपने सत्संग संदेश में कहा कि सत्संग वह जल है जिसमें जीवात्मा के ऊपर चढ़ा कर्मों का आवरण कटता है। संतों महात्माओं के सत्संग में किसी व्यक्ति विशेष, जाति, धर्म की निन्दा, आलोचना नहीं की जाती है। यहां तो प्रभु के भक्ति का प्रेम प्यार पैदा किया जाता है और नाम की महिमा का बखान किया जाता है। उन्होंने मानव शरीर को चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ बताते हुये कहा कि यह इसलिये मिला है कि इसमें रहते हुये आत्मा अपने अजर-अमर देश पहँुच जाये और जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त हो जायें। इसमें प्रभु के पास जाने का दरवाजा है जिसका भेद सन्त महात्मा जानते हैं। सारी आत्मायें देववाणी अनहदवाणी पर उतारकर लायी गई हैं। अब उस आत्मा का सम्बन्ध टूट गया है। जब पुनः उस शब्द से जुड़ जायेगी तो अपने निजघर पहुंच जायेगी। इसके लिये प्रभु की प्राप्ति करने वाले सन्त सत्गुरु की आवश्यकता है उन्होंने आगे कहा इस स्थूल भौतिक सृष्टि के अलावा परासृष्टि भी है। खोटे-बुरे कर्मों को करने वाले जीवों को इसी शरीर से मिलती-जुलती लिंग ष्शरीर में भयानक यातनायें दी जाती हैं। सन्त महात्मा साधना करके ऊपर के लोकों में जब जाते है तो जीवों को मिल रही यातनाओं को देखकर द्रवित हो जाते है। सहजोबाई ने कहा ‘‘लोह के खम्भ तपत के माहीं, जहाँ जीव को ले चिपटाहीं’‘ नर्कों में लोहे जैसे खम्भे तपकर लाल हो रहे हैं, उसमें जीव चिपटाये जाते हैं और वे हाय-हाय करके चिल्लाते है, वहॉ कोई बचाने वाला नहीं। इसीलिए हमारे गुरु महाराज परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने यह आवाज लगाई कि ऐ इंसानों! तुम अपने दीन ईमान पर वापस आ जाओ और मनुष्य रूपी मन्दिर में बैठकर भगवान की सच्ची पूजा करो,ताकि आपकी आत्मा रूह नर्कों व दोजखों में जाने से बच जाये। महाराज जी ने समाज में बढ़ती हुयी हिंसा, अपराध और शराब व अन्य नषों की बढ़ती हुयी प्रवृत्ति पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि सबसे पहले आप मानवतावादी बनें, एक-दूसरे की निःस्वार्थ भाव से सेवा करें। समाज में मिलजुल कर रहें। मांस-मछली अण्डा जैसे अषुद्ध आहार का परित्याग करें। जिस शराब के पीने से ऑखों से मॉ-बहन, बेटी की पहचान खत्म हो जाती है इसे पीकर कैसे विचार कर सकते है कि क्या अच्छा है, क्या बुरा है?


