मोहखेड़। नवंबर माह का वेतन रोक लगाए जाने से मोहखेड़ तहसील के पटवारियों में भारी आक्रोश देखने को मिला। बुधवार, 27 सितंबर को तहसील कार्यालय में हुए घटनाक्रम ने पटवारियों की अंदरूनी गुटबाजी को भी उजागर कर दिया।
तहसीलदार द्वारा राजस्व मामलों में लापरवाही के चलते सभी पटवारियों का नवंबर माह का वेतन आहरण रोक दिया गया। इस फैसले से असंतोषित पटवारी सुबह 11 बजे तहसील कार्यालय पहुंचे। एकत्रित होकर जनपद सभाकक्ष में बैठक की, और फिर तहसीलदार से चर्चा करने का प्रयास किया।
समीक्षा बैठक ने बढ़ाई मायूसी
पटवारियों ने तहसीलदार से चर्चा करने के लिए इंतजार किया, लेकिन तहसीलदार ने कोर्ट कार्यवाही समाप्त होने के बाद ही मिलने की बात कही। इस दौरान पटवारी अपने मुद्दों को लेकर जनपद सभाकक्ष में चर्चा करते रहे। दोपहर 3 बजे तहसीलदार पहुंचीं और राजस्व मामलों की समीक्षा शुरू हुई।
करीब साढ़े तीन घंटे तक चली यह बैठक 6:30 बजे समाप्त हुई। बैठक में विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा हुई, लेकिन बिजली बाधित होने के कारण इसे जल्द समाप्त करना पड़ा। लंबे इंतजार और देरशाम तक चर्चा के बावजूद पटवारियों को ठोस समाधान नहीं मिला, जिससे उनमें निराशा नजर आई।
पटवारियों में गुटबाजी उजागर
मोहखेड़ तहसील में कुल 66 पटवारी पदस्थ हैं, लेकिन केवल 25-30 ही बैठक में उपस्थित हुए। सावरी सर्कल के अधिकतर पटवारी उपस्थित थे, जबकि ईकलबिहरी सर्कल से केवल 5-7 पटवारी पहुंचे। इस पर सावरी सर्कल के पटवारियों ने ईकलबिहरी पटवारियों पर आरोप लगाए कि वे ऐसे मुद्दों पर सहयोग नहीं करते।
बैठक में बिताया पूरा दिन
वेतन रोकने के फैसले को लेकर तहसीलदार से चर्चा करने पहुंचे पटवारियों को यह अंदाजा नहीं था कि बैठक देरशाम तक खिंच जाएगी। तहसीलदार ने राजस्व मामलों में गंभीर समीक्षा की, लेकिन कई पटवारी बैठक की लंबाई और समाधान की कमी से मायूस होकर लौटे।
पटवारियों ने इस फैसले को जल्द वापस लेने और लंबित समस्याओं का समाधान करने की मांग की है।

