✍️जुन्नरदेव से मुकेश बरखाने संवाददाता
जिला छिन्दवाडा के आदिवासी अंचल के ग्राम गोप के 25 किसान कर रहे खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन का कार्य, वर्ष 2022 से एचसीएल फाउंडेशन और अंडर द मैंगो ट्री सोसायटी के माध्यम से मधुमक्खी पालन की शुरुआत हुईं है। शुरुआती वर्ष में, किसानो को मधुमक्खी पालन का आधारभूत तकनीकी ज्ञान प्रशिक्षण, वर्कशॉप, और अन्य मधुमक्खी पालकों के यहां विजिट करके प्रदान किया गया।
जिससे गाँव के किसानो को विगत 3 सालों में फायदे प्राप्त हो रहे है!
- ग्राम में पिछले 3 वर्षों से औसतन प्रति वर्ष 100 किलो ग्राम शुद्ध शहद प्राप्त होता है और 2 किलो ग्राम वैक्स भी प्राप्त होता आ रहा है।
- गांव के किसानों ने विगत 3 सालों में लगभग 30 मधुमक्खियों की कॉलोनी भी बेची है।
- मधुमक्खियों को पालने से हमारे क्षेत्र मे इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है जिससे क्षेत्र में पारागीकरण की प्रक्रिया से फसल उपज में लगभग 20-25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
- मधुमक्खियों के कारण फसलों में रोग कम मात्रा में लग रहे हैं, और इसी कारण किसान कम मात्रा में रासायनिक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं।
मधुमक्खी पालन परियोजना के माध्यम से गाँव के किसानो को स्थानीय स्तर पर तकनीकी सहयोग संतालाल मलगाम जी के द्वारा दिया जा रहा है जो कि मास्टर ट्रेनर है!
संतलाल जी के अनुभव :-
- हम अपनी देशी मधुमक्खियों (सतपुड़ी और कोथी) का पालन करते है! मैं अपने गांव में मास्टर ट्रेनर के पद पर रहते हुए किसानों को मधुमक्खी पालन सिखा रहा हूं लगभग मेरे गाँव के 25 किसान भी यह कार्य कर रहे है ।हम मधुमक्खी पालन को निरन्तर करते रहेंगे। मैं अपने गांव के अन्य किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित कर रहा हूं।
यह काम को बहुत कम लागत में प्रारंभ किया जा सकता है! इसमें ज्यादा समय और मेहनत की जरूरत नहीं है! इसको कोई भी कर सकता है, अपने खेतों में, अपने घर के पीछे में।
संतलाल जी को इस कार्य हेतु सहयोग सह तकनीकी मार्गदर्शन एच.सी.एल. फाउंडेशन व अंडर द मैंगो ट्री सोसायटी के माध्यम से प्राप्त हुआ है!

