ग्रामीणों की जान जोखिम में, घटिया सामग्री और अफसरों की अनदेखी से नाराज़गी चरम पर
खैरवानी/जुन्नारदेव:
जनपद पंचायत जुन्नारदेव के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत खैरवानी में मनरेगा योजना के तहत बन रही 12 लाख रुपये की पुलिया निर्माण में भारी घोटाले की गूंज सुनाई देने लगी है। निर्माण कार्य में घटिया सामग्री के उपयोग और बिना किसी तकनीकी निगरानी के चल रहे काम से ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। यह पुल अब भ्रष्टाचार, लापरवाही और कमीशनखोरी का प्रतीक बन चुका है।
गुणवत्ता ताक पर, जिम्मेदार मौन
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल निर्माण में मानकों की सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। निर्माण में उपयोग हो रहे पत्थर अत्यंत कमजोर और निम्न स्तर के हैं, जिससे पुल का ढांचा किसी भी समय ढह सकता है। हैरानी की बात यह है कि लाखों रुपये की इस योजना में न तो कोई इंजीनियरिंग निरीक्षण हुआ है और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारी की निगरानी देखी गई है।
कमीशनखोरी का खुला खेल, सरपंच-सचिव पर सवाल
ग्रामवासियों का आरोप है कि सरपंच और पंचायत सचिव की मिलीभगत से ठेकेदार को खुली छूट दी गई है। बजट का बड़ा हिस्सा कमीशन के रूप में बांट दिया गया है, और कार्य को जल्दबाजी में, बिना गुणवत्ता का ध्यान रखे पूरा किया जा रहा है। पंचायत की अनदेखी से ग्रामीणों की जान को सीधा खतरा उत्पन्न हो गया है।
ग्रामीणों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग
गांव के जागरूक नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिया निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने शीघ्र संज्ञान नहीं लिया, तो वे जन आंदोलन और सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे।
"पुल बनने से पहले ही खतरे की घंटी बज गई है"
गांव के वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि जिस पुल से आवागमन की सुविधा मिलनी थी, वही अब मौत का बुलावा बन सकता है। यदि समय रहते गुणवत्ता की जांच नहीं हुई, तो ये पुल किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
सरकार और प्रशासन से जवाब की उम्मीद
ग्रामवासियों ने मुख्यमंत्री, जिला कलेक्टर और जनपद सीईओ से गुहार लगाई है कि पुलिया निर्माण में हुई अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए, ताकि सार्वजनिक धन की बर्बादी और जन-जीवन की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों पर लगाम लगे।