सरपंच की कुर्सी पर कब्जा — प्रशासन की चुप्पी सवालों में
महिला आरक्षण का खुला उल्लंघन! सरपंच पुत्र चला रहा पंचायत — तुरंत जांच की मांग
ग्राम पंचायत में प्रॉक्सी शासन का पर्दाफाश — क्या जनपद CEO अब कार्रवाई करेंगे?
छिंदवाड़ा / चौरई।
जनपद पंचायत चौरई की ग्राम पंचायत परसगांव सर्रा में महिला आरक्षण की नियमावली को खुलेआम ठेंगा दिखाया जा रहा है। पंचायत में चुनी हुई महिला सरपंच के होते हुए भी उनका पुत्र सरपंच की कुर्सी पर बैठकर पंचायत का सारा कामकाज देख रहा है। पंचायत कार्यालय में सरपंच पुत्र के बैठने, मीटिंग लेने और फ़ाइलों पर हस्ताक्षर तक कराए जाने के आरोप लगातार सामने आ रहे हैं।
शासन के साफ निर्देश हैं कि महिला सरपंच के पति या पुत्र किसी भी स्थिति में सरपंच की कुर्सी पर नहीं बैठ सकते, न ही वे किसी तरह का आधिकारिक कार्य कर सकते हैं। इसके बावजूद परसगांव सर्रा में नियमों को ताक पर रखकर सरपंच पुत्र ही पंचायत का "अनौपचारिक सरपंच" बना बैठा है।
सूत्रों का दावा है कि पंचायत में होने वाले कई कार्यों पर सरपंच पुत्र के हस्ताक्षर तक करवाए जा रहे हैं, जबकि वास्तविक सरपंच का केवल नाम भर चल रहा है। और हैरानी की बात यह कि सचिव भी इसके बाजू में बैठकर बेखौफ पूरा सहयोग कर रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इससे पंचायत में कामकाज पारदर्शिता से नहीं हो पा रहा और महिला आरक्षण का उद्देश्य पूरी तरह विफल हो रहा है।
जिले में कई पंचायतें ‘प्रॉक्सी संचालन’ की शिकार
छिंदवाड़ा जिले की कई पंचायतों में ऐसी ही स्थिति देखने को मिल रही है—कहीं देवर पंचायत चलाता है, कहीं भाई, कहीं पति और कहीं बेटा… महिला आरक्षण के नाम पर असल में काम पुरुषों के हाथ में ही रहता है। परसगांव सर्रा इसका ताज़ा उदाहरण बन गया है।
अब सबकी निगाहें जनपद CEO और जिला पंचायत CEO पर
स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि नियमों के उलट चल रही इस व्यवस्था पर जनपद CEO और जिला पंचायत CEO कब कार्रवाई करेंगे?
जनपद स्तरीय अधिकारी यदि इस मामले को नजरअंदाज करते हैं, तो यह महिला आरक्षण व्यवस्था पर सीधा प्रहार माना जाएगा।
फिलहाल परसगांव सर्रा पंचायत में सरपंच पुत्र का कुर्सी संभालना साफ तौर पर नियमों का उल्लंघन है, और ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन इस प्रॉक्सी शासन पर शीघ्र और कड़ी कार्रवाई करेगा।

