छिंदवाड़ा जिले से 20 किलोमीटर और उमरेठ से 10 किलोमीटर दूर स्थित उमरेठ तहसील की ग्राम पंचायत मानकादेही कलां के वन विभाग की वादियों में स्थित प्राचीन गौमुख मंदिर में हर साल लगने वाला गौमुख मेला इस वर्ष नवंबर माह की कार्तिक पूर्णिमा से 15 दिन तक आयोजित होगा। यहां की नदी जलधारा में गौ के मुख से जल की धारा निरंतर बहती है, जो इस मंदिर का प्रमुख आकर्षण है। मंदिर प्रांगण में यह मेला बड़े ही भव्य रूप में लगता है, जो इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व को और बढ़ाता है।
गौमुख मंदिर प्राचीन प्रतिमाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ भगवान शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, महावीर स्वामी, काल भैरव, वीरभद्र, चित्रसेन आदि देवी-देवता विराजमान हैं। शिव मंदिर के समीप स्थित गौमुख आकार की एक शिला से निरंतर जलधारा गिरती है, जिसे श्रद्धालु पवित्र मानते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजा करते हैं, जिससे उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
गौमुख मेले के दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ लगातार चलती रहती हैं। मेले के शुरुआती 10 दिनों में भारी भीड़ होती है, जो धीरे-धीरे कम होने लगती है। यहाँ पर आभूषण, बर्तन, घरेलू सामग्री और सौंदर्य प्रसाधन की दुकानें भी लगाई जाती हैं, जो मेले को और भी रंगीन बनाती हैं। गौमुख मेला समिति, स्थानीय वन सुरक्षा समिति और पुलिस विभाग मिलकर मेले की सभी व्यवस्थाओं को सुचारू और सुव्यवस्थित रूप से संचालित करते हैं।
यह स्थल पिकनिक और पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। छिंदवाड़ा के अलावा अन्य जिलों से भी लोग इस स्थल की ओर आकर्षित होते हैं और प्राकृतिक सौंदर्य एवं धार्मिक माहौल का आनंद लेते हैं।