तामिया के ग्राम हरसदिवारी में मत्स्य उत्पादन का निरीक्षण करने पहुंचे कलेक्टर
छिन्दवाड़ा/छिन्दवाड़ा की धरती पर महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की एक नई कहानी लिखी जा रही है। जिले के विकासखंड तामिया के ग्राम हरसदिवारी के सीएम सरोवर में दुर्गा स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में नवाचार करते हुए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम बढ़ाया है। कलेक्टर श्री शीलेंद्र सिंह की प्रेरणा और सीईओ जिला पंचायत श्री अग्रिम कुमार के मार्गदर्शन में ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्व सहायता समूहों से मत्स्य पालन का नवाचार किया गया है। इन स्व सहायता समूहों को मत्स्य पालन विभाग की मत्स्य बीज अनुदान योजना से लाभान्वित कर यह नवाचार में शामिल किया है।
कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह ने आज सीईओ जिला पंचायत श्री अग्रिम कुमार के साथ इस नवाचार के परिणामों का निरीक्षण किया और इसे महिलाओं के लिए एक रोजगार का बेहतर अवसर बताया। इस मत्स्य पालन परियोजना के तहत दुर्गा स्व-सहायता समूह को मत्स्य विभाग द्वारा 7500 मत्स्य बीज अनुदान पर उपलब्ध कराए गए थे। सितंबर 2024 में ये बीज सीएम सरोवर हरसदिवारी में डाले गए थे। महज छह महीने में इन मछलियों का वजन 1 किलो से लेकर 2 किलो तक हो गया, जो इस परियोजना की सफलता को दर्शाता है। यह परिणाम न केवल इन महिलाओं के कठिन परिश्रम का प्रमाण है बल्कि यह भी दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन और संसाधनों की उपलब्धता से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त किया जा सकता है। मछली का बाजार भाव 150 से 200 रुपए प्रति किलो रहने पर इन महिलाओं को लाखों रुपए की आमदनी होने की स्पष्ट संभावना है।
कलेक्टर श्री सिंह और सीईओ जिला पंचायत श्री कुमार ने अपने समक्ष उत्पादित मछलियों को विक्रय के लिए स्व सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती सरोज कवरेती को सौंपा। साथ ही सीईओ जनपद पंचायत श्री मांडलिक को एन.आर.एल.एम. के ब्लॉक कॉर्डिनेटर और दुर्गा स्व सहायता समूह की महिलाओं की बैठक कराकर सरोवर से उत्पादित मत्स्य के विक्रय की सुचारू व्यवस्था के निर्देश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि जिले में लगभग 25 तालाबों में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से मत्स्य पालन का नवाचार किया गया है। यह पहल ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता का एक मजबूत आधार साबित होगी, जिससे वे आत्मनिर्भर होकर अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति को और सुदृढ़ कर सकेंगी। कलेक्टर श्री सिंह ने दुर्गा स्व सहायता समूह की महिलाओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह मॉडल अन्य ग्रामों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।