अधिवक्ताओं एवं जनप्रतिनिधियों ने रखे विचार, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करने का संकल्प
जुन्नारदेव। वक्फ संशोधन बिल 2025 पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन स्थानीय बस स्टैंड स्थित जामा मस्जिद के सामने किया गया, जिसमें सिविल न्यायालय के अधिवक्ताओं और विभिन्न जनप्रतिनिधियों ने भाग लेकर अपने-अपने पक्ष रखे। कार्यक्रम का आयोजन मोहम्मदिया एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी द्वारा किया गया।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि अधिवक्ता राजेंद्र शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि वक्फ संशोधन बिल 2025 संसद से पारित होकर 96 बैठकों और 96 लाख लोगों के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन यतीम, विधवाओं और वंचितों को अधिकार दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि अधूरी जानकारी के कारण इस विषय में भ्रांतियाँ उत्पन्न हो रही हैं, जिन्हें समाचार पत्रों और गूगल जैसी माध्यमों से स्पष्ट किया जा सकता है।
अधिवक्ता राजेश कौशल ने कहा कि यह बिल पसमांदा मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। वहीं, अधिवक्ता सलीमुद्दीन ने जानकारी दी कि कुछ मुस्लिम पक्षों द्वारा इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, विशेष रूप से बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने को लेकर।
अधिवक्ता सादिक बेग ने वक्फ संपत्तियों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वक्फ अधिनियम 1954 से लागू है। उन्होंने कहा कि अब दस्तावेजों के आधार पर ही वक्फ संपत्ति घोषित की जाएगी, और विवादित संपत्तियाँ सरकार के अधीन आ सकती हैं। उन्होंने अनुच्छेद 14 के उल्लंघन की बात कहते हुए गैर-मुस्लिमों की भागीदारी पर चिंता व्यक्त की।
रामलीला समिति के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव ने सर सैयद अहमद खां के कथन का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ इस्लाम का हिस्सा नहीं है।
हाजी मोहम्मद शाहिद, प्रदेश प्रतिनिधि, मुस्लिम विकास परिषद, ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला विचाराधीन है, और वक्फ बोर्ड की अनियमितताओं व भूमि के दुरुपयोग को ध्यान में रखते हुए यह संशोधन आवश्यक हो गया है। उन्होंने वक्फ बोर्ड का संचालन मुस्लिम समाज द्वारा ही किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।कार्यक्रम का मंच संचालन मोहम्मद ताहिर ने किया और आभार प्रदर्शन जामा मस्जिद कमेटी के सदर सैयद गौहर जमाल शाह ने किया। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्णय देगा, उसे सभी सम्मानपूर्वक स्वीकार करेंगे।इस अवसर पर हाजी आर.बी. कुरैशी सहित अनेक समाजसेवियों एवं प्रबुद्धजनों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में जामा मस्जिद कोषाध्यक्ष अफरोज आलम, मस्जिद आयशा से मोहम्मद साबिर, निसार अहमद, जमील बाबू, मोहम्मद जलील, आबिद खान, मोहम्मद तौहीद, मोहम्मद फैसल समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।