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जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली और आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र छिंदवाडा के प्रयासों से विशेषकर मध्यप्रदेश के मक्का उत्पादक किसानों के लिये मक्के की नई प्रजाति की दूसरी संकर किस्म पूसा जवाहर संकर मक्का 2 (पी.जे.एच.एम.-2) विकसित की गई है। यह प्रजाति हेलमिन्थोस्पापेरियम टरसिकम, हेलमिन्थोस्पापेरियम मयाडिस और तना छेदक के प्रति सहनशील है तथा वर्षा आधारित क्षेत्र विशेषकर पठारी क्षेत्रों के लिये बेहद उपयुक्त है।
आंचलिक अनुसंधान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक एवं सह संचालक अनुसंधान डॉ.विजय पराडकर ने बताया कि राज्य शासन के किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी की अध्यक्षता में 26 जुलाई 2022 को संपन्न बैठक लिये गये निर्णय के अनुसार कृषि विश्वविद्यालयों और केन्द्रीय अनुसंधान केन्द्रों द्वारा विकसित की गई विभिन्न फसलों की नवीनतम प्रजातियों में मक्के की नई प्रजाति पूसा जवाहर संकर मक्का-2 (पी.जे.एच.एम.-2) को म.प्र. राज्य के लिये विकसित करने की अनुशंसा की गई। इस परिप्रेक्ष्य में जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डॉ.पी.के.बिसेन और संचालक अनुसांधान सेवाए डॉ.जी.के.कौतु के मार्गदर्शन में मक्का की हाइब्रिड किस्म विकसित की गई जिसमे आंचलिक अनुसंधान केन्द्र छिंदवाडा का विशेष योगदान रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के मक्का अनुसंधान में जुड़े डॉ.गणपती मुक्करी और संबंधित वैज्ञानिकगणों के साथ ही जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के आंचलिक अनुसंधान केन्द्र छिंदवाडा के सहसंचालक अनुसंधान डॉ.पराडकर व वैज्ञानिक डॉ.गौरव महाजन का पूसा जवाहर संकर मक्का-2 किस्म को विकसित करने में योगदान रहा।
आंचलिक अनुसंधान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक एवं सह संचालक अनुसंधान डॉ.पराडकर ने बताया कि आंचलिक अनुसंधान केन्द्र छिंदवाड़ा में पूर्व में विकसित प्रदेश की प्रथम हाइब्रिड किस्म पूसा जवाहर संकर मक्का-1 (पी.जे.एच.एम.-1) के बाद अब पूसा जवाहर संकर मक्का 2 को विकसित कर किसानों को समर्पित किया गया है । इस बीज की परिपक्वता 95-97 दिन की है यानी फसल बोने के बाद इस अवधि तक फसल पूरी पककर तैयार हो जायेंगी। इसकी औसत उपज भी 65.81 कि.ग्रा.प्रति हैक्टेयर है । परीक्षण की अवधि के दौरान इस प्रजाति को ए.एच.-4271 कोड किया गया था जो आगे चलकर पूसा जवाहर संकर मक्का-2 (पी.जे.एच.एम.-2) के रूप में मध्यप्रदेश शासन द्वारा अनुमोदित कर म.प्र.के लिए अनुशंसित की गई है। यह प्रजाति चेक जवाहर मक्का-216 और पूसा जवाहर संकर मक्का-1 प्रजाति की उपज से अधिक है। इसके अलावा पौधे व भुट्टे की ऊंचाई 205 से.मी.और सिल्क 52 दिन में आती है।


