जुन्नारदेव । ग्राम पंचायत तेलीवट में निर्माणाधीन रंगमंच एक बार फिर ग्राम विकास योजनाओं की हकीकत को उजागर कर रहा है। एक लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति के बाद शुरू हुआ यह निर्माण कार्य अब स्थानीय जनता के लिए चिंता का विषय बन गया है। घटिया निर्माण सामग्री और अनियमित कार्यप्रणाली ने पूरे प्रोजेक्ट की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि रंगमंच की दीवारें बिना किसी मजबूत नींव के खड़ी कर दी गई हैं। परिणामस्वरूप, दीवारों के आसपास की जमीन बैठने लगी है। इससे निर्माण स्थल पर गंभीर दुर्घटना की आशंका उत्पन्न हो गई है।
जनता का सवाल – दोषी कौन?
गांव के लोगों का सीधा सवाल है – यह लापरवाही किसकी है? पंचायत की, ठेकेदार की, या दोनों की मिलीभगत का नतीजा? ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और सचिव की निगरानी पूरी तरह नदारद रही, वहीं ठेकेदार ने मनमाने ढंग से कार्य किया। अधिकारियों की निष्क्रियता और निरीक्षण की कमी से यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
मोती कमीशन का खेल या सिस्टम की सुस्ती?
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी विकास कार्यों को लेकर गंभीर नहीं हैं। “उन्हें तो बस कमीशन से मतलब है, ज़मीन पर क्या हो रहा है, उससे कोई सरोकार नहीं है,” एक बुज़ुर्ग ग्रामीण ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा। अधिकारियों की उदासीनता ने जनता का विश्वास डगमगा दिया है।
क्या कार्रवाई होगी या फिर फाइलों में दबेगी आवाज़?
गांव के जागरूक युवाओं और बुजुर्गों ने प्रशासन से मांग की है कि निर्माण कार्य की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए। दोषी पाए जाने पर चाहे वह ठेकेदार हो, पंचायत प्रतिनिधि हो या जिम्मेदार अधिकारी – सभी पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले समय में इस लापरवाही की कीमत किसी की जान से चुकानी पड़ सकती है।
अब जनता पूछ रही है – कब तक चलेगा ऐसा भ्रष्टाचार? कब आएगा जवाबदेही का दौर?