धरना-प्रदर्शन की तैयारी तेज, जिलेभर के पत्रकारों से एकजुट होने की अपील सुरक्षा व मान्यता पर कानून के पालन की मांग
*सच की आंखे*
बैतूल* - प्रेस मीडिया पत्रकार कल्याण संघ बैतूल की जिला बैठक शुक्रवार को जिला कार्यालय में संपन्न हुई, जिसमें जिले के पत्रकारों के सामने बढ़ती चुनौतियों, पेशेवर नियमों की अनदेखी, सुरक्षा की कमी और सरकारी मान्यता में हो रही अनियमितताओं पर गंभीर मंथन किया गया। बैठक में तय किया गया कि पत्रकारों के हित और अधिकारों की रक्षा के लिए प्रस्तावित एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन को ऐतिहासिक रूप दिया जाएगा। जिला अध्यक्ष राकेश सिंह ने बैठक में कहा कि पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, जिसकी आवाज़ दबाना या उसके अधिकारों का हनन सीधे-सीधे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (a), अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून (एम पी जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन एक्ट 2017) में स्पष्ट प्रावधान हैं कि किसी भी पत्रकार के कार्य में बाधा डालना, धमकाना या हमला करना दंडनीय अपराध है। लेकिन इन कानूनों का पालन ज़मीनी स्तर पर अक्सर नहीं होता, जिसके चलते पत्रकारों को पेशेवर जोखिम झेलना पड़ता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन और शासन ने इन कानूनी प्रावधानों का सख्ती से पालन नहीं कराया, तो संघ बड़े पैमाने पर आंदोलन करेगा। बैठक में 28 जुलाई को ग्वालियर में आयोजित पत्रकार महापंचायत की समीक्षा करते हुए निर्णय लिया गया कि महापंचायत में उठाए गए मुद्दों पत्रकारों की सुरक्षा, सुविधाओं की उपलब्धता, सरकारी मान्यता की पारदर्शी प्रक्रिया और कार्यस्थल पर गरिमा को जिले के स्तर पर लागू करने के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जाएगी। संघ का मानना है कि केवल प्रेस कार्ड या मान्यता पत्र देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि पत्रकारों को फील्ड में कार्य करते समय पुलिस व प्रशासनिक सुरक्षा भी उपलब्ध कराना अनिवार्य है।इस अवसर पर ग्वालियर महापंचायत में भाग लेने वाले पत्रकारों को शहीद सरदार भगत सिंह सम्मान–2025 के प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। बैठक में जिला कार्यकारी अध्यक्ष विनोद जगताप, जिला महामंत्री कमलाकर तायवाड़े, वरिष्ठ उपाध्यक्ष देवीनाथ लोखंडे, जिला सचिव रामराव देशमुख, संगठन महामंत्री मनोहर अग्रवाल, जिला उपाध्यक्ष संदीप वाईकर, जिला मंत्री मनोज तायवाड़े, जिला प्रचारक सुनिल सोनारे, आठनेर ब्लॉक अध्यक्ष विशाल पिपरोले, अनिल परते, अंकित इरपाचे, सागर उइके, राहुल चौधरी और गब्बर सिंह मौजूद रहे।सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि यह आंदोलन केवल एक धरना नहीं, बल्कि पत्रकारिता की गरिमा और सुरक्षा की लड़ाई है। जिले के सभी पत्रकारों से अपील की गई कि वे अपने पेशे और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर इस संघर्ष का हिस्सा बनें, ताकि शासन और प्रशासन को यह स्पष्ट संदेश जाए कि पत्रकारों की सुरक्षा और नियमों का पालन कोई उपकार नहीं, बल्कि उनका कानूनी दायित्व है।